विरों को प्रणाम|सुलभारती|कक्षा-पाचवी)

विरों को प्रणाम(सुलभारती-कक्षा-पाचवी)

देश की मिट्टी का कण-कण है,
जिन्हें प्राण से प्यारा ।
प्रणाम ऐसे वीरों को,
सौ-सौ बार हमारा ।।

यह ऐसी धरती है जहाँ पर,
गंगा-जमना बहती ।
देश पर मर मिटने की,
हरदम धुन-सी रहती ॥

वीरों के बलिदान से.
चमका हिंद वतन का तारा ।
नमस्कार ऐसे वीरों को,
सौ-सौ बार हमारा ॥

यह आजादी नहीं मिली है,
हमें किसी से भीख में ।
सीखा हम लोगों ने कुछ तो,
प्राणार्पण की सीख में ।।

देश की मिट्टी का कण-कण है,
जिन्हें प्राण से प्यारा ।
प्रणाम ऐसे वीरों को,
सौ-सौ बार हमारा ।।
कविता ताल सुरू में सुनने के लिये आगे दिले गये व्हिडिओ को देखो|

 


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