बूँदें. (कविता) | सुलभभारती |कक्षा-पाचवी

             बूँदें.      (सुलभभारती कक्षा-पाचवी)


रिमझिम रिमझिम गाती बूँदें,

धरती पर हैं आती बूँदें ।

खेतों, बागों, मैदानों में,

हरियाली फैलातीं बूँदें ।

धरती से नालों, नदियों में,

सागर में मिल जातीं बूँदें ।

गरमी से तपते लोगों को,

शीतलता पहुँचातीं बूँदें ।

मेंढक, मोर, पपीहे, कोयल,

सबका मन हरषातीं बूँदें ।

पुरवाई के रथ पर चढ़कर,

इठलातीं, मुसकातीं बूँदें ।

कविता सुरताल में सुनेने के लिये आगे दि गई लिंकपर क्लिक किजिए...



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